पूर्व निदेशक

पी नीलकंठन (1959-1964)

डॉ निलाकंठन सीएसआईआर-एनएएल के पहले निदेशक थे और कहा जाए तो इसके संस्थापक भी थे। नीलकंठन की दृष्टि, प्रतिबद्धता और अविश्वसनीय प्रयासों के चलते सीएसआईआर-एनएएल का पवन सुरंग केंद्र स्थापित किया गया था।



एस आर वलुरी (1965-1984)

सीएसआईआर-एनएएल के दूसरे निदेशक के रूप में 19 वर्षों के लिए डॉ वल्लुरी ने डॉ नीलकंठन द्वारा बनाई गई मजबूत नींव के माध्‍यम से सीएसआईआर-एनएएल को भारतीय वैमानिकी क्षेत्र का एक शक्तिशाली और उल्लेखनीय बल में बदला।



आर नारसिम्‍हा (1984-1993)

प्रोफेसर नरसिम्हा ने सीएसआईआर-एनएएल को नागर विमानन, समांतर प्रसंस्करण, वांतरिक्ष इलेक्ट्रॉनिकी, पृष्‍ठ प्रौद्योगिकी और कम्प्यूटेशनल द्रव गतिशीलता क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए आत्मविश्वासी और पभावी अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला के रूप में बदला।



के एन राजू (1993-1996)

डॉ राजू ने राष्ट्रीय वांतरिक्ष कार्यक्रमों में सीएसआईआर-एनएएल के योगदान के लिए अद्भुत गति प्रदान की, साथ ही प्रयोगशाला की राजस्व को अपूर्व ऊंचाइयों तक बढ़ा दी।



टी एस प्रह्लाद (1996-2002)

डॉ प्रह्लाद ने सीएसआईआर-एनएएल के नागरिक उड्डयन कार्यक्रम को एक उत्‍कृष्‍ट स्‍थान पर पहुंचाया। उन्होंने सीएसआईआर-एनएएल को एकत्रीय परियोजना निष्पादन मशीन में परिवर्तित किया और प्रयोगशालाओं के बुनियादी ढांचे में काफी सुधार किया।



बी आर पै (2002-2004)

डॉ बी आर पै ने सीएसआईआर-एनएएल के सफल सारस वायुयान उडान के साथ नागर विमानन क्षेत्र पर अधिक ध्‍यान केन्‍द्रित किया और प्रगत अनुसंधान एवं विकास विशेषकर पराध्वनिक नोदन, लाइटर-देन-एयर वायुयान तथा रेडम प्रौद्योगिकी का पूर्ण रूप से समर्थन की और कई युवा वैज्ञानिकों को भर्ती किया और अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं में सुधार लाई।



ए आर उपाध्या (2004-2011)

देश के अग्रणी डॉ उपाध्‍या वायुप्रत्‍यास्‍थता के बहुआयामी क्षेत्र में न केवल वांतरिक्ष अनुसंधान और विकास कार्य में योगदान दिया है बल्कि उद्योग में इसके कार्यान्वयन की सफल शुरुआत भी की।



श्याम शेट्टी (2011-2016)

हम इनको प्रणाम करते हैं जिन्होंने हमें सामान्य से उत्कृष्टता की ओर प्रयास करने के लिए सिखाया। इनका मानना था कि अभियात्रिकी प्रणाली के हर पहलू को महीन रूप से देखना। उनके द्वारा लिखित नियंत्रण विधि कार्यात्मक परिभाषा एक उदाहरण के तौर पर लिया जाता है। इनके कारण एलसीए का विकास हुआ जो दुनिया में सबसे उत्‍कृष्‍ठ उड़ान गुणता प्राप्‍त वायुयानों में से एक है।