संयोजनात्‍मक विश्लेषण

संयोजनात्‍मक विश्लेषण

संयोजनात्‍मक विश्लेषण विधियों का प्रयोग अज्ञात सामग्री के घटकों को निर्धारित करने,  संदिग्ध सामग्री की पहचान की पुष्टि करने और समरूप सामग्रियों के बीच अंतर की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। रासायनिक संरचना विश्लेषण के लिए एक नमूना में घटकों के रासायनिक संरचनाओं और सांद्रता की पूरी जानकारी प्राप्त करने हेतु विश्लेषणात्मक तरीकों के संयोजन के अनुप्रयोग की आवश्यकता होती है। हमारे रासायनिक विश्लेषण वैज्ञानिकों को एक नमूने के रासायनिक संयोजन, ट्रेस विश्लेषण, रिवर्स इंजीनियरिंग, तात्विक विश्लेषण, नमूना का सान्‍द्रण या शुद्धता और उन्नत शोध समर्थन के निर्धारण में काफी विशेषज्ञता है। हम नियमित रूप से विश्लेषणात्मक विधियों को हमारी आवश्यकताओं और उद्योग क्षेत्र के लिए उपयुक्त बनाने के लिए विकसित और अनुकूल (और मान्यता देते हैं, यदि आवश्यक हो) बनाते हैं।

तकनीक का नाम:

  1. उच्च दाब तरल क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी)
  2. गैस क्रोमैटोग्राफी (जीसी) 
  3.  तात्विक विश्लेषण


1. उच्च दाब तरल क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी)

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एचपीएलसी प्रयोग का मुख्य उद्देश्य मिश्रण के प्रत्‍येक घटकों की पहचान, परिमाण निर्धारण और शुद्ध बनाना। एचपीएलसी तरल क्रोमैटोग्राफी का एक विधि है जो घोल में घुले यौगिक पदार्थों को अलग करने के लिए प्रयोग किया जाता है। सीसीएफपी में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण पर्किनएल्मर द्वारा "फ्लेक्‍सर एलसी" में मोबाइल फेस, पंप, इंजेक्टर, अलग कॉलम, यूवी स्पेक्ट्रोमीटर डिटेक्टर, ओवन और ऑटो सैंपलर और डाटा अधिग्रहण हेतु कंप्यूटर शामिल हैं।

सुविधाएं जहां इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है:

सीसीएफपी में इस विधि का प्रयोग बहुहुलीकरण से पहले तैयार किए गए सह-मोनोमर घोल की संरचना निर्धारित करने हेतु किया जाता है। यह रेसिन प्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण घटकों की संरचना निर्धारित करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

2. गैस क्रोमैटोग्राफी (जीसी)

गैस क्रोमैटोग्राफ़ (जीसी) एक विश्लेषणात्मक साधन है जो विभिन्न घटकों के पदार्थों के साथ-साथ उसकी शुद्धता को भी मापता है। उपकरण में अंत:क्षेपित नमूना घोल एक गैस स्ट्रीम में प्रवेश करता है जो नमूने को एक अलग ट्यूब "कॉलम" में ले जाता है (हीलियम या नाइट्रोजन वाहक गैस के रूप में प्रयोग किया जाता है)। विभिन्न घटकों को कॉलम के अंदर अलग किया जाता है। डिटेक्टर उन घटकों की मात्रा को मापता है जो कॉलम से बाहर निकलते हैं। सीसीएफपी पर जीसी "क्लारस 580" पेर्किनएल्मर मेक है और इसमें कॉलम (ध्रुवीय और गैर-ध्रुवीय नमूने दोनों के लिए), थर्मल कंडक्टिविटी डिटेक्टर, ऑटो सैंपलर, ओवन, कम्प्यूटर इंटीग्रेटर शामिल हैं।

COMPOSITIONAL ANALYSIS1

सुविधाएं जहां इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है:

इस विधि का प्रयोग पॉलिमराइजेशन के साथ-साथ कताई में इस्तेमाल होने वाले कच्चे पदार्थों की शुद्धता की जांच हेतु किया जाता है। यह सह-मोनोमर संरचना को जांचने के लिए भी उपयोग किया जाता है जो पोलीमेरिज़ेशन प्रक्रिया के दौरान तैयार किया जाता है।

3. तात्विक विश्लेषण

कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन पर तात्विक विश्लेषण सबसे जरूरी है - और कई मामलों में आर्गेनिक नमूने की तात्विक संरचना को अभिलक्षित करने और/या साबित करने के लिए जांच की जाती है। इस तकनीक में, नमूने को दहन ट्यूब में अतिरिक्‍त ऑक्सीजन और विभिन्न ट्रैप के साथ जलाया जाता है और दहन उत्‍पादों को संग्रहित किया जाता है: कार्बन डाइऑक्साइड, जल और नाइट्रिक ऑक्साइड। अविदित नमूने की संरचना की गणना करने हेतु इन दहन उत्पादों को इस्तेमाल किया जा सकता है। उच्च शुद्धता हीलियम गैस वाहक के रूप में कार्य करता है। सीसीएफपी में हमारे पास "ऐलेमेंटर वेरियो माइक्रो क्यूब" तात्विक विश्लेषक है जो एक माप में सीएचएन के साथ सल्फर निर्धारण के लिए सक्षम है। यह उपकरण सीएचएनएस मोड और ओ मोड दोनों में काम कर सकता है (ऑक्सीजन का विश्लेषण अलग से किया जा सकता है)। स्थिर और गतिशील दहन दोनों के अद्वितीय संयोजन के साथ, सीएचएन/ओ/एस उपकरण वोलैटाइल से लेकर रीफ्रैक्टरीज तक के नमूनों की व्यापक सीमा को दहन कर सकता है। पूर्ण रूप से स्वचालित। उच्च उत्पादकता के लिए त्‍वरित विश्लेषण - विश्लेषण समय प्रति नमूना 10 मिनट से कम। स्थिर तापीय कंडक्टिविटी डिटेक्टर अत्‍यंत सटीक रैखिक प्रतिक्रिया प्रदान करता है। क्षैतिज नमूना अंत:क्षेपण प्रत्येक नमूने के बीच के अवशेष को हटा देता है। मेट्लर XP6 अल्‍ट्रामाइक्रोबैलेंस को पदार्थों के वजन मापने हेतु प्रयोग किया जाता है।

COMPOSITIONAL ANALYSIS2

सुविधा जहां इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है: फाइबर स्पिनिंग सुविधा    (चित्र-2), फाइबर तापीय उपचार सुविधा (चित्र-3)।

पर्व फाइबर (विशेष ऐक्रेलिक फाइबर) और विभिन्‍न तापीय उपचार फाइबर (स्थिर, पूर्व कार्बनयुक्त और कार्बोनेटेड) की तात्विक संरचना का निर्धारण फाइबर के स्थिरता के दौरान ताप के विभिन्न चरणों में बड़े पैमाने पर लुप्‍त होने के साथ-साथ ऑक्सीजन को पाने हेतु किया जाता है। फाइबर के पॉलिमर, लिग्निन और अन्य तात्विक संरचना (कांच, अरमिड फाइबर) का भी निर्धारित किया गया है।

पिछला नवीनीकरण : 28-09-2020 05:12:43pm