आरंभ

सीएसआईआर-सीएसआईआर-एनएएल की कहानी 1 जून, 1959 को शुरू हुई, जब प्रप्रथम निदेशक डॉ पी नीलकांतन के नेतृत्‍व में  राष्ट्रीय वैमांतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशालएं (एनएआरएल) को दिल्ली में स्थापित किया गया।  महज 9 महीने बाद मार्च 1960 में, जयमहल रोड पर मैसूर महाराजा महल के अस्‍तबल में राष्ट्रीय वैमांतरिक्ष प्रयोगशाला के नाम से कार्यालय की स्थापना कर बेंगलूरु में अपनी शुरुआत की। प्रथम कार्यकारी परिषद की अध्यक्षता जेआरडी टाटा द्वारा की गई थी और प्रोफेसर सतिश धवन और डॉ वी एम घाटगे जैसे दिग्गज भी इसमें शामिल थे। इसकी शुरुआत राष्ट्रीय वैमांतरिक्ष प्रयोगशाला के नाम से हुआ, लेकिन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में इसकी बढ़ती भागीदारी को प्रदर्शित करने और इसके बहुआयामी गतिविधियों तथा वैश्विक स्थिति को प्रदर्शित करने के कारण अप्रैल 1993 में इसे राष्ट्रीय वांतरिक्ष प्रयोगशालाएं (सीएसआईआर-एनएएल) का नाम दिया गया। निपुण एवं प्रख्यात निदेशकों के साथ अपने लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने हेतु सीएसआईआर-सीएसआईआर-एनएएल की तरंगे सुगम रूप से बढती जा रही हैं।

 

सीएसआईआर-एनएएल आज पांच किलोमीटर दूर दो परिसरों में फैल हुआ है। प्रत्येक परिसर लगभग 100 एकड़ का क्षेत्र है। संचार के आदान-प्रदान के लिए इन दोनों परिसर हाई-स्पीड कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। कैंपस के बीच आने-जाने हेतु कनेक्टिविटी केलिए शटल बस की सुविधा है।

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जयमहल रोड भवन वास्‍तव में मैसूर महाराजा महल का अस्‍तबल था

 

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एम एस ठक्‍कर, मनि-सीएसआईआर ने 2 जुलाई 1961 को पवन सुरंग केन्‍द्र (डब्ल्यूटीसी) की आधारशिला स्‍पापित की।

 

सीएसआईआर-एनएएल की पहली बड़ी परियोजना एचएएल रनवे के पास बेलूर कैंपस में एक डब्ल्यूटीसी की स्थापना रही।

 

पिछला नवीनीकरण : 22-11-2020 03:38:55pm